जो बीत गई सो बात गई
एक उमर धुंआ होने को है
वो प्रेम प्यार, वो प्रीत गई
एक सूना घर , ऊंची खिड़की
वो नन्हीं सी छोटी लड़की
रातों को तुम्हें जगाती है
वो अब भी तुम्हें बुलाती है
अपनी पहचान छुपाती है
कहने सुनने की हर हसरत
दिल ही दिल में रीत गई
ओ....बचपन के मीत मेरे
जो बीत गई सो बात गई