कपिल सिब्बल कहते हैं कि अब IIT का एंट्रेंस देने के लिए 12वीं क्लास में 80 परसेंट लाना होगा। यानी बाकी लोग बीए, एमए करें और अगले 5 सालों में दिल्ली –मुंबई के महानगरों में खो जाएं। मैं उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर से हूं और मुझे पता है कि IIT में सिर्फ बैठने का एहसास भर कितनी ऊर्जा भर देता है। हो सकता है IIT में आप जगह न पाएं...तो कोई बात नहीं किसी रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज में जगह मिल जाएगी..अगर वहां भी नहीं मिली तो कोई बात नहीं , क्लास टू का कोई सरकारी ओहदा ही मिल जाता था, अगर वो भी नहीं मिली तो भी , इतनी बड़ी ज़िंदगी बिता देने के लिए वो हौसला बड़ा काम आता था , जो IIT की तैयारी के वक्त अपने आप पूरे बदन में भर जाता था। ठीक वैसे ही जैसे जाड़े में हम धूप को पूरे बदन में सोख लेना चाहते हैं। कई बार ऐसा होता था कि इंटर मे नंबर आए 65 परसेंट और IIT में तो नहीं , लेकिन अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ज़रूर मिल जाता था। और ऐसा IIT की धुन में होता था। सिब्बल साहब के मुताबिक सोचें तो 80 परसेंट की बाड़ इसलिए लगाई जा सकती है क्योंकि सरकार कोचिंग सेंटरों को रोकना चाहती है। क्यों –ये समझ में नहीं आया। सिब्बल साहब अगर प्राइवेट MBA और इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूय्स पर वार करते तो शायद बेहतर होता। सैकड़ों की संख्या में ये इंस्टीट्यूट्स नोएडा-ग्रेटर नोएडा में फल फूल रहे हैं। कहने को एडमिशन के लिए MAT नामका एक टेस्ट होता है लेकिन ये प्राइवेट इंस्टीट्यूट वरीयता उस बच्चे को देते हैं जो ज़्यादा पैसा डोनेशन के तौर पर देने को तैयार हो जाता है। ऐसे ज़्यादातर कॉलेजों में उन उन घूसखोर IAS-IPS अफसरों के बच्चे एडमिशन पा जाते हैं , जिन्हें कहीं जगह नहीं मिलती। यानी सिब्बल की नाक के नीचे ये अंधेर हो रहा है और सिब्बल निशाना किसी और को बना रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है जिन बच्चों को 80 परसेंट नहीं मिलेगा , वो वक्त नहीं खराब करेंगे , तुरंत नोएडा-ग्रेटर नोएडा की ओर दौड़ लगाएंगे और जगह मिलने के लिए नीलामी में बोली लगाएंगे। यानी कपिल सिब्बल 80 के बहाने उन शिक्षा ‘सरपंचों’ की मदद कर रहे हैं, जिन्होंने प्रॉपर्टी डीलिंग के धंधे में कमाया अनाप शनाप पैसा स्कूलों में लगाया है।
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2 comments:
Sahi kaha bhai...yahan bhi rajniti...Jara Sibbal ji ka bhi 12th ka result nikalvakar dekhana...80% aaye they ya 80% anne se rah gaye the.
Kaise ho bhai?
Neelesh
मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक ऐसा मंत्रालय है जिसके मंत्री को ना जाने किन अज्ञात कारणों से ये भ्रम हो जाता है की भारत की युवा आबादी का वो पथप्रदर्शक और नियंता है। अब देखो मानव संसाधन मंत्रालय का जिम्मा सँभालते ही कपिल सिब्बल साहब भी इसी बीमारी से ग्रसित हो गए
पहले तो टेंथ की बोर्ड परीक्षाएं ख़त्म कर दी अब आई आई टी वालों के पीछे पड़ गए हैं भाई कोई ये तो बताये की शिक्षा का आधार परीक्षाएं ही ख़त्म कर दी जायेंगी तो इस बात का मूल्यांकन कैसे होगा की किसे क्या पद मिलना चाहिए, कौन किस काम के योग्य है. सिब्बल जी ने तो बेकार में ८० परसेंट की बाधा लगाई जब 10th,11th में कोई पढ़ेगा ही नहीं तो 12th में क्या खा कर 80% लाकर आई आई टी की परीक्षा में बैठेगा ?
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