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धोखे पर धोखा

पंकज शुक्ला

कर्नाटक में झटका खाने के बाद बीजेपी के वेंकैया नायडू बोले हैं- हमारे साथ धोखा हो गया .......कुमारस्वामी पर भरोसा सियासी भूल साबित हुई है। जनता इन धोखेबाजों को कभी माफ नहीं करेगी। उधर, जेडीएस का कह रही है –हमने कोई धोखा नहीं किया, बीजेपी संग सरकार बनाकर एक कर ली थी उसे सुधार लिया।जेडी एस की धूर्तता भरी ये मासूमियत नजर अंदाज की जा सकती है, वो इसलिए कि बीजेपी के मुकाबले उसका कद बेदज अदना है तो, सियासत में उसके सरोकार भी बेहद क्षैत्रीय किस्म के हैं।लेकिन, इनका क्या कहें जिन्हें धोखा हो गया- धोखा हो गया का रोना एक बार फिर रोना पड़ रहा है। बीजेपी के साथ ऐसा क्यों होता है, वो तो देश की बागडोर संभाल चुकी है, वो भी गठबंधन सरकार के बूते पूरे पांच साल तक। राष्ट्रीय पार्टी है और फिर देश की सत्ता पर दावा कर रही है। जाहिर है बीजेपी के लिए सत्ता की गणित बैठाने वालों के फार्मूले जेडी एस जैसे दलों के मुकाबले ज्यादा सठीक और दमदार होने चाहिए।
बीजेपी को आज कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाना गलत फैसला नज़र आ रहा है, तो ऐसा फैसला हुआ ही क्यों, जबकि एक-दो नही यूपी में तीन बार मायावती के हाथों पार्टी ऐसा धोखा खा चुकी है। मायावती के साथ भी सत्ता की बंदरबांट तय हुई,और मायावती ने बीजेपी का मौका आने पर पहचानने से इनकार कर दिया।बहरहाल, दो ही सवाल उभरते है कि बीजेपी को धोखा खाने की आदत है या फिर धोखा खाना उसकी मजबूरी। शायद दोनों –मजबूरी जो आदत में तब्दील हो चुकी है। बीजेपी ,बीजेपी बनी राम के नाम पर । राम मंदिर का सवाल और उसके नाम पर उठा जज्बाती सैलाब। राम मंदिर का सवाल इतना आसान नहीं,और वैसा जज्बाती सैलाब रोज-रोज़ की बात नही- बीजेपी ने ज़िन्दा रहने के लिए सत्ता को ही हथियार बनाया।पूर्ण बहुमत में आए तो मंदिर बन पाएगा...पूर्ण बहुमत का रास्ता बेहद टेढ़ा है, और सत्ता की चाशनी चाट चुके कार्यकर्ता धैर्य रख नहीं सकते। पार्टी विद डिफरेंस के नाम पर नैतिकता लादकर सत्ता की सीढ़ी नहीं चढ़ी जा सकती। कार्यकर्ता कह रहा है, राम मंदिर तो जब बनवाओगे बनवाना, सरकार में तो बिठाओ,ऐसे में पुत्र प्रेम में पागल हुए एच डी देवगौड़ा हों या फिर दबे –कुचलों के चंदे से सोने का मुकुट पहनने वाली मायावती, बीजेपी में अगर मतलब भर की ताकत है तो सरकार बनाने के ऐसे हर ख्वाहिशमंद का सहारा बनने को तैयार है। मनुवाद को गांलियां बकने वाली मायावती बीजेपी की सगी नहीं हो सकतीं और बेटे की खातिर ज़िंदगी भर की सियासी कमाई ताक पर रखने वाले देवगौड़ा भी भरोसे लायक नहीं माने जा सकते- ये छिपी बात नहीं थी। लेकिन, बीजेपी ने उनसे हाथ मिलाया। जज्बातों के बूते मजबूत हुई पार्टी की ये मजबूरी है, गोवा में सरकार बनाने के लिए पार्टी विद डिफरेंस ने पिछले दिनों जो तड़प दिखाई और बेइज्जत हुई, वो मजबूरी और आदत की एक नज़ीर है। बड़ी बात नही कल फिर कर्नाटक में कुमारस्वामी की ताजपोशी के लिए बीजेपी आतुर दिखे।
धोखा खाना मजबूरी बन जाए, इसकी बजह वो आस्था भी कही जा सकती है जिसकी रक्षा का दम बीजेपी भरती है.......मुखालिफ कहते है बीजेपी ने भगवान राम के नाम पर धोखा किया है और, आस्था कहती है देवता नाराज हो जाए तो श्राप देते है।

(लेखक वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं)

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