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'दक़ियानूसी राज'


शहर में राज का चर्चा दिखाई देता है
हर एक शक्स तड़पता दिखाई देता है
ज़माना चांद पे जाने की कर रहा है फ़िराक़
इसे तो सिर्फ़ मराठा दिखाई देता है
किसी को भी यहां ‘भईया’ से कोई बैर नहीं
इसी की आंख में कांटा दिखाई देता है
ज़माना जान चुका है परख चुका है इसे
ये शक्स खून का प्यासा दिखाई देता है
जहां में जब भी दरिंदों दी बात होती है
ये सैकड़ों में अकेला दिखाई देता है
लिबास इसका भले ही सफ़ेद हो लेकिन
ये शक्स सोच का काला दिखाई देता है
ये मुंबई की फ़िज़ाओं में ख़ौफ़ भर भर कर
बुराइयों का ओसामा दिखाई देता है
ये राजनीति का चक्कर है जान लो ‘भईया’
ये दकियानूस का चाचा दिखाई देता है
ये राज कौन है क्यों इसकी बात करते हो
ये ‘राज’नीति का प्यासा दिखाई देता है
भरेगा कब भला इसकी शरारतों का घड़ा
के इसका वक्त तो पूरा दिखाई देता है

---मसरूर अब्बास

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11 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

जबरदस्त, धाँसू...। उस मूर्ख और पागल गुण्डे को करारा थप्पड़ है ये। बधाई।

SWETA TRIPATHI said...

बहुत सहीं बात कही है आपने.ऐसे लोग गंदी राजनीति के जरिए बहुत कुछ पाने की कोशिश करते है.राजनीति मिले चाहे ना मिले बदनामी जरुर मिलती है

राकेश त्रिपाठी said...

ठीक कहा श्वेता जी आपने

राकेश त्रिपाठी said...

ठीक कहा श्वेता जी आपने

डॉ .अनुराग said...

अब तो केक भी काट दिया है

Meenakshi Kandwal said...

राज के जैसा राज चलाने वाले कई आए और गए लेकिन जो बाकी रह गया सिर्फ ये सच की
"यूनान-मिस्त्र रोमा सब मिट गए जहां से
बाकी मगर है अब तक नामों-निशां हमारा"
माना की नफरत की इस तूफ़ान में कुछ कमज़ोर पत्ते उड़ जाते हैं लेकिन तूफ़ान थमने के बाद उनका अस्तित्व कूड़े के ढेर में तब्दील होने के सिवाए कुछ नहीं रहता। और बाद में उस कूड़े के ढेर को भी आग लगा दी जाती है।

U. S. Pandey said...

Logon, is prakar ki jaghanya ghatanaayen is baat ka saboot hain ki hum prajatantra ke yogya hain hi nahin.

U. S. Pandey said...

लोगों, इस प्रकार की जघन्य घटनाएँ इस बात का सबूत हैं की हम प्रजातंत्र के योग्य हैं ही नहीं।
--उमा शंकर पांडेय

Manojtiwari said...

राज के बारे में हम जितना बात करेंगे उतनी ही उसे पब्लिसिटी मिलेगी आखिर बदनाम होंगे तो नाम न होगा क्या हम राज के बारें में लिखकर बात करके सिर्फ उसकी पोपुलैर्टी को बढा रहे हैं और येही तो वो चाहता है फिर क्यों हम उसका काम कर रहे हैं ?

राकेश त्रिपाठी said...

बिल्कुल बज़ा फरमाया......आज से राज पर सब कुछ बंद

Manojtiwari said...

मैं बहुत दिनों से सोच रहा था की क्यों ना एक समस्या जो मेरे जेहन में बहुत दिनों से घूम रही है सरपंचजी के मंच पर उठाऊं हालांकि इस समस्या से सब वाकिफ हैं और इसके ऊपर राजनीति भी काफी हो चुकी है जब इस समस्या से जुडी कोई घटना घटती है तो सभी राजनितिक दल अपने अपने गाल बजाने लगते हैं और जैसे ही मामला शांत होता है तो सभी दलों को साँप सूंघ जाता है और अधिक भूमिका ना बान्धतें हुए बता दूँ की वो समस्या है बंगला देश
बंगला देश के बनते ही वहां से शरणार्थी समस्या का जो शुभ आरम्भ वो आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है इस देश के राजनीतक भ्रष्टाचार और लोगो की काहिली ने इस बात का मोका उपलब्ध करवाया है की रामविलास पासवान जैसे नेता ये बात जानने के बाद भी की बहुत से बंगाली शरणार्थी आतंवादिओं के लिए स्लीपर सेल का काम कर रहें हैं , बंगदेश भारत विरोधी देशद्रोहिओं का अड्डा बना हुआ है , देश के कुच्छ संवेदनशील इलाकों में जनसँख्या अनुपात पूरी तरह बंगला देशी घुसपैठिओं के पक्छ में झुक चूका है की अब वो अपनी सरकार बनाने की पोजीशन में हैं ऊपर से आसाम की कोंग्रेसी सरकार इनको राशन कार्ड थमा कर इनको इस देश का नागरिक बना देने पर आमादा है इनको इस देश का लीगल नागरिक बना देने की सीफारिश कर रहें हैं
राजधानी में ये समस्या विकराल रूप लेती जा रही है यहाँ ये अकसर लूटपाट की वारदातों में लिप्त पाए जा रहें हैं इनका अत्याचार इनसे ना निपटने की राजनितिक इच्छा शक्ति के न होने के कारण बढ़ता जा रहा है क्या ऐसा नहीं हो सकता की इस मंच के अलावा आप अपने चॅनल के माध्यम से इस समस्या पर लोगों तथा सम्बंधित पक्छों का ध्यान खीचें
कहने के लिए बहुत कुछ है पर पहले आपकी राय जानना जरुरी है विश्वास है की समस्या इस मंच को प्रयोग करने वाले सभ्यजनों का ध्यान अपनी तरफ जरुर खिचेगी