(मीनाक्षी कंडवाल पेशे से टीवी जर्नलिस्ट है, लेकिन मन उनका एक कवि का है..उनकी एक कविता आप तक हम ला रहे हैं...जो अभी अधूरी है....मीनाक्षी चाहती थीं कि कविता जब पूरी हो तब सामने लाई जाए...लेकिन जिन महीन धागों से उन्होंने अपने ख्वाब बुने हैं...वो आपको देखनी ही चाहिए....इसी सोच के साथ हम ये लाइनें आप तक पहुंचा रहे हैं।)
एक कोशिश में जुटी हूँ आजकल
कोशिश तुम्हें जानने की,
समझने की,
और कभी कभी तो
परखने की भी......
वजह महज़ ये कि
तुम में है गज़ब का आकर्षण
जो तुमसे जुदा होने नहीं देता
जो तुमसे अलग कुछ सोचने नहीं देता
तुम मेरे प्रेमी नहीं हो
लेकिन प्रेमी से कम भी नहीं
लफ़्ज़ों की ज़ुबां में तुम 'ज़िंदगी' कहलाते हो
वक्त बेवक्त ज़ेहन में दस्तक दे जाते हो
बस इसीलिए
एक कोशिश में जुटी हूँ आजकल
हाँ कोशिश तुम्हें जानने की
'ज़िदंगी' को जानने की,
क्योंकि
साँसों के चलने से लेकर
सांसो के थमने तक
तुम्हारा विराट वैभवशाली अस्तित्व
अनंत अनुभवों की दास्तां कहता हैं
---मीनाक्षी कंडवाल
"कोशिश तुम्हें जानने की"
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9 comments:
वाह जी क्या बात हैं। अभी तो ये रचना पूरी नहीं हुई तब ये बात है जब ये पूरी होगी तब क्या बात होगी? बहुत ही सुन्दर लिखा हैं।
तुम मेरे प्रेमी नहीं हो
लेकिन प्रेमी से कम भी नहीं
लफ़्ज़ों की ज़ुबां में तुम 'ज़िंदगी' कहलाते हो
वक्त बेवक्त ज़ेहन में दस्तक दे जाते हो
बहुत उम्दा।
सुंदर कविता........
पूरी होने का इंतजार रहेगा
achchi hai,sundar dhang se ise poori karen,iske liye shubhkaamnayen.
अच्छी है कविता ...आगे पूरी होगी तो पता चलेगा कि अपनी बात यह कह पायी या नही
badhai kavita ke sundar shabdon ke liye
बहुत ही शानदार कविता है लिखते रहिये हमारी शुभकामनायें आपके साथ है राकेश जी ne आपको एक बहुत अच्छा मंच उपलब्ध करवाया है यहाँ आपको पढने वाले काफी सारे पाठक मिल जायेंगे
मेरा मानना है की कवताएँ हमारे अन्दर की आवाज होती है और ये आवाज तभी आती है जब किसी वजह या विषये को लेकर बहुत अधिक प्रभावित होते है पर कविताओं की रचना करना हर किसी के बस की बात नहीं होती कवितायें और कहानिया भी वोही लोग लिख सकते हैं जिनकी कल्पनाओ की उडान ऊची होती है यदि किसी पाठक को संदेह है तो एक बार कलम उठा कर अपने को परख ले
अपने अनमोल संदेशों के ज़रिए मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी का तह-ए-दिल से शुक्रिया..
आज इस अधूरी रचना को पूरा कर लिया है। हालांकि ज़िंदगी की समझने और जानने की प्रक्रिया जीवन भर या उसके बाद भी जारी रहती है। लेकिन फिर भी उम्र के इस पड़ाव पर ज़िंदगी के खूबसूरत एहसास को लेकर मैं क्या महसूस करती हूं, इसे शब्दों में बांधने का प्रयत्न किया है।
ise un hi rahne den plz
badi kashish hai isme
aur adhurepan ka maza hi alag hai
meri bhavnao ko aapne likha
dhanyavaad
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