RSS

सीसा झूठ नई बोलता



आदरणीय बैन जी

बैन जी इसलिए कि पारटी की बैन हैं, तो पूरे परदेस की भी हैं। मुंबई के अखबार मिड डे की कापी मेरी मेज़ पर रखी है...पेज नंबर 4 पर आपकी एक तस्वीर देख रहा हूं। आप को आप के ‘लोग’ बड़ी सी एक माला पहनाने की कोसिस कर रहे हैं। इस बार इसमें हरे हरे नोट नहीं थे...सफेद और लाल गुलाबों की इस माला को आपको पहनाने की कोसिस कर रहे लोग उसे हाथों से छू लेने को आतुर दिख रहे हैं बैन जी। काले कमांडो चारों ओर देख रहे हैं , चौकन्नी निगाहों से...कहीं बैन जी की सुरच्छा को कोई ख़तरा तो नहीं। एक हाथ आपका भी फूलों की उस माला की ओर उठ कहा है बैन जी।
फूल देख कर आप परफुल्लित भी खूब हैं....फूलों से ताकत का अंदाज़ा होता हो शायद....हमने तो माखनलाल चतुर्वेदी की वो कविता सुनी है जिसमें उन्ने फूल की अभिलासा के बारे में कुछ लिक्खा है। उन्ने कहा है कि फूल की इच्छा है कि बाग का माली उसे तोड़े और उस रास्ते में बिछा दे, जिससे चलकर देश के वीर मातृभूमि के लिए बलिदान करने जाते हों। अब तो खैर बैन जी, बलिदान देने इस परदेस के वीर क्यों जायेंगे, देने से पहले उनसे बलिदान ले लिया जाता है। लोग कैते हैं बैन जी कि लखनऊ की जेल में बंद एक डिप्टी सीएमओ का बलिदान आपके ही लोगों ने ले लिया। आपको बचाने के लिए लिया, आपके मंत्रियों को बचाने के लिए लिया बैन जी , कुछ भी किया, किया तो परदेस के लिए ही ना...तो वीर ही हुए आपके।
लेकिन बैन जी जब आप मुंबई में उन फूलों को छूने के लिए उचक रही थीं...तो परदेस का भरोसा आप पर से तार तार हो रहा था। उस समय 14 बरस की एक बच्ची दिल्ली के अस्पताल में अपनी आंखें वापस पाने की जी-तोड़ कोसिस कर रही थी...आपके ही परदेस में कुछ लोगों ने उसकी इज़्ज़त से खेलना चाहा था बैन जी...नहीं कर पाए कुछ तो उसकी दोनों आंखों में छुरा घोंप दिया। उसकी तो खैर जान बच गई ...लेकिन लखीमपुर वाली बच्ची को तो अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसा कैते हैं कि आपके कुछ पुलिसिओं ने उसकी इज़्ज़त से खिलवाड़ करना चाहा था...भगवान जाने चाहा ही था, या कुछ कर भी बैठे थे...क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो कुछ और ही कैती है...लेकिन अगले दिन वो बच्ची फांसी पर लटकी मिली॥वैसे ही जैसे अपने सचान साहब लटके मिले थे।

किस्से बहुत हैं बैन जी...लखनऊ के बगल में ही बाराबंकी में भी कुछ रोज़ पैले ऐसा ही हुआ। आपकी मानें बैन जी , तो ये कांगरेसिए हैं ना...इन्हीं की करतूत है ये सब...इन्हीं के लोगों ने आपको बदनाम करने के लिए परदेस की बच्चियों को निसाना बनाया है। लेकिन बैन जी, आप परदेस की राजा हैं....आपको अपने काम से फुरसत कहां मिलती होयगी...आगे पीछे अफसरान, हुक्मरान घूमते रैते हैंगे...इसीलिए सोचा आपको बता दूं कि दिन में कुछ पल आदमी को अपने लिए रखने चइए हैंगे...एकदम अकेले बैन जी। हमारे मास्साब कैते थे.....दूसरों के सामने झूठ बोल के निकल जाओगे...लेकिन खुद से कैसे बोलोगे राजा....इसलिए बैन जी....दिन में कुछ पल सीसे के सामने खड़े रैना चाइए.....अपनी सूरत खुद देखनी चाइए.....माथे पे कितना झूठ है....आंखों में कितना....और होठों पे कितना.....सब सामने आता है। दिन भर में आपके ‘लोग’ आपके बारे में जितना झूठ बोलते हैं...वो सब आप पैचान सकती हैं .... जब सीसे में आप खुद की सकल देखती हैंगी...क्योंकि सीसा झूठ नई बोलता है ना बैन जी।

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

2 comments:

jaideep shukla said...

sir i read your article which is showing the true image of today's politics.

jaideep shukla said...

sir i read your article which is showing the true image of today's politics.