RSS

नवंबर से नवंबर तक







सुनो सुनयना
मेरे भी दाहिने पैर के अंगूठे के पीछे 
की हड्डी में
एक बरमूडा निकल आया है
ठीक वैसे ही 
जैसे तुम्हारे पैरों में है
ये इस बात की
तस्दीक़ करता है कि
किन्ही दो लोगों का सब कुछ
सब कुछ का मतलब 'सब कुछ'
एक जैसा हो सकता है
दुख-सुख, रेगिस्तान औ हरियालियाँ,
उनका गुस्सा, खीझ और चिल्लाहट
खत्म हो जाने की हद तक
प्यार करने और दुश्मनी निभाने 
की इच्छाएं
यहां तक कि 
सांस लेने और छोड़ने का
सलीका भी
एक जैसा होता है
बशर्ते ....
मोहब्बत उनकी रगों
में दौड़ती फिरती हो

- राकेश त्रिपाठी

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

जो तू मिला

इस उम्र में
मिला है तू
मुझसे कि अब मेरे
चेहरे पर
मेच्योरिटी का
एक परदा आन पड़ा है
न जाने कितने
नन्हें ख्वाब,
जिनकी बेवक्त मौत
हो गई थी
टूट के चिपके पड़े हैं
उस परदे पर
मैं झाड़ती नहीं कभी
उस पर्दे को
क्योंकि मुझे आज भी
वो ख्वाब तेरे पास ले जाते हैं

--रा.त्रि



  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

सज़ा

गुनहगार तो हो तुम मेरे
सज़ा के हक़दार भी   
बड़ी ग़लतियां की हैं
तुम्हारे इस अंदाज़ ने
तुमने एक लम्हे को
इतिहास बनने
से रोक दिया था ना
अपने क्षणिक अहंकार 
पर सवार तुम
पास से गुज़र गए
नि:शब्द
शब्दों के ग़रीब थे तुम
मेरे करीब थे
फिर भी इतिहास की ह्त्या
के अपराधी तो हो ही
कोख में मारा था ना तुमने उसे
ख़ैर ....सज़ा ये है
कि जिसे मारा था
उसे ज़िंदा करो, प्यार से पालो
और फिर उसे पा   लो
वो सिर्फ तुम्हारा था
तुम्हारा ही है
सदैव

--रा.त्रि


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

तुम रहस्य

मेरी हर कहानी का पात्र 
तुम से ही क्यों निकलता है
हर कविता की दूब 
तुम्हारे भीतर ही क्यों लहलहाती है
रहस्यों से भरी हुई तुम
आखिर हो क्या


--रा.त्रि

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

मैं अकेला

ये

कोई शिकायत नहीं है
लेकिन खोज रहा हूं रोज़
खुद को
बदल रहे हैं मायने
मेरे ‘ होने ’ के
क्योंकि
देर से ही सही
गिरने लगे हैं बदसूरत चेहरों
से सुंदर मुखौटे

--रा.त्रि

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

जीत

ताकि... तुम जीतो 
तो मैं भी जीतूं
इसीलिए......
मैं हार जाता हूं

--रा.त्रि

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

तुम साथ हो सदैव

ल देंगे फिर 
एक दिन कमंडल उठा कर
उठा लेंगे डेरा-डंडा
खोल देंगे जटाएं 
बैठ जाएंगे गंगा किनारे
धूनी रमाए
लेकिन
याद रहे...
हम अकेले नहीं हैं
तुम मेरे कमंडल में हो
गंगा जल की तरह
सदैव


--रा.त्रि

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS