इस उम्र में
मिला है तू
मुझसे कि अब मेरे
चेहरे पर
मेच्योरिटी का
एक परदा आन पड़ा है
न जाने कितने
नन्हें ख्वाब,
जिनकी बेवक्त मौत
हो गई थी
टूट के चिपके पड़े हैं
उस परदे पर
मैं झाड़ती नहीं कभी
उस पर्दे को
क्योंकि मुझे आज भी
वो ख्वाब तेरे पास ले जाते
हैं
--रा.त्रि
1 comments:
आह्
नि:शब्द
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