RSS

हम अजनबी

बहुत दिनों के बाद
यादों के लंबे, अस्पष्ट
और कुहासों से भरे
गलियारों से निकलकर
तुम प्रकट हुए एक रोज़ यकायक

फिर , इत्मीनान से मिटाने लगे वे भित्तिचित्र
जो तुमने कभी 'ग़लती'
से अपने हाथों बनाये थे

दोस्त,
गिला ये नहीं कि
अपनी ही बनाई तस्वीरें
क्यों बिगाड़ दीं तुमने

दुख तो इस बात का है
कि एक 'हां' और एक 'न' के बीच
के सारे फैसले
तुम्हारे रहे और मैं
बना रहा मूक दर्शक

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments: