गली का कुत्ता लालू गुस्से में था। गुस्सा इतना कि सड़क के कोने में बैठ लगभग कांप रहा था..पता ही नहीं चला कि पास से कब दुम हिलाती लाली निकल गई...लाली इसी गली की कुतिया है..और लालू से बनती है उसकी। लालू को इंतज़ार था कि गली के दूसरे कुत्ते कब आएंगे....उसने मीटिंग बुला रखी थी-कौम के लिए। धीरे धीरे सारे आवारा कुत्तों का हुजूम इकट्ठा होने लगा। बैठक दो मकानों के बीच बरसों से खाली पड़े एक प्लॉट में बुलाई गई थी। भीड़ इकट्ठी देख लालू अपनी जगह से उठा...एक उंची जगह जाकर खड़ा हुआ और बोलने से पहले गला साफ किया।
' दोस्तों ... '
लालू ने बोलना शुरू किया....
'वक्त बहुत मुश्किल है...अब चुप नहीं रहना...हमारी इज्जत खतरे में है...अब तक तो ठीक था...अपने बीरू भइया हिंदी फिल्मों में बोलते थे...कमीने कुत्ते...हम चुप रह जाते थे...लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा रहा है...अब नेता भी हम पर तंज कसने लगे हैं....केरल का मुख्यमंत्री बोलता है मेजर संदीप शहीद नहीं हुआ होता तो कुत्ता भी उसके घर नहीं जाता...कोई मुझे बताए...क्या हमारी ही उपमाएं रह गईं हैं ? आखिर हम एक वफादार कौम हैं....ये और बात है कि हम आवारा हो गए...लेकिन हमारी बहुत सी जातियां बड़े बड़े घरों की रखवाली किया करती हैं.....हम न हों तो रात को सड़क पर लोग दारू पीकर दंगे करते फिरें ... ये तो हम हैं कि रात को सड़कों की बेबात रखवाली करते हैं....सड़कों पर लाठी पटक कर चला जाने वाला पहरेदार हमारे ही भरोसे तो चैन से रात भर सोता है....तो हम क्यों इंसानों का जुल्म बर्दाश्त करें....
सारे कुत्तों ने एक बार भौंक कर समर्थन जाहिर किया।
(आगे और है...अधूरा)
श्वान हैं तो क्या !
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2 comments:
जिस तरह शहीद मेजर संदीप उनिकृष्णन अपने देश के लिए वफादार थे उस तरह की वफदारी की उम्मीद आजादी से पहले के नेताओं से तो की जा सकती है पर आजकल के ज्यादातर नेता अचियुतानंद जैसे हो गए हैं वो कहते हैं की अगर ये शहीद का घर न होता तो कुता भी झाँकने नहीं आता तो उन्हें भी पता चले की अगर वो केरल के मुख्यमंत्री न होते और शहीद की मेजर की याद में आयोजित किसी जनसभा में ऐसी ही कोई बकवास की होती तो जूते से पीटे गए होते आपका व्यंग हलाकि अभी अधुरा है पर मनोरंजक होने की उम्मीद जगा रहा है
gatank se aage kab? aapne to un purani 'indrajal comics' ki tarah adhoora chod diya !
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