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पाकिस्तान को एक हिन्दुस्तानी शायर की हिदायत

पाकिस्तान के लोगों में पाकिस्तान की हकूमत और पाकिस्तानी मीडिया के ज़रिए ये बात फैलाई जाती है कि हिन्दुस्तान में जो मुसलमान हैं उन्हें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है...उनपर ग़मों के पहाड़ ढाए जाते हैं...इस बात को मद्देनज़र रखते हुए एक हिन्दुस्तानी शायर ने पाकिस्तान की मीडिया, पाकिस्तान की हुकूमत और पाकिस्तान की आवाम को मुखातिब करते हुए ये नज़्म कही... जो आपकी पेश-ए-खिदमत है !


तुमने कश्मीर के जलते हुए घर देखे हैं
नैज़ा-ए-हिंद पे लटके हुए सर देखे हैं
अपने घर का तु्म्हें माहौल दिखाई न दिया
अपने कूचों का तुम्हें शोर सुनाई न दिया
अपनी बस्ती की तबाही नहीं देखी तुमने
उन फिज़ाओं की सियाही नहीं देखी तुमने
मस्जिदों में भी जहां क़त्ल किए जाते हैं
भाइयों के भी जहां खून पिए जाते हैं
लूट लेता है जहां भाई बहन की इस्मत
और पामाल जहां होती है मां की अज़मत
एक मुद्दत से मुहाजिर का लहू बहता है
अब भी सड़कों पे मुसाफिर का लहू बहता है
कौन कहता है मुसलमानों के ग़मख़्वार हो तुम
दुश्मन-ए-अम्न हो इस्लाम के ग़द्दार दो तुम
तुमको कश्मीर के मज़लूमों से हमदर्दी नहीं
किसी बेवा किसी मासूम से हमदर्दी नहीं
तुममें हमदर्दी का जज़्बा जो ज़रा भी होता
तो करांची में कोई जिस्म न ज़ख्मी होता
लाश के ढ़ेर पे बुनियाद-ए-हुकूमत न रखो
अब भी वक्त है नापाक इरादों से बचो
मशवरा ये है के पहले वहीं इमदाद करो
और करांची के गली कूचों को आबाद करो
जब वहां प्यार के सूरज का उजाला हो जाए
और हर शख्स तुम्हें चाहने वाला हो जाए
फिर तुम्हें हक़ है किसी पर भी इनायत करना
फिर तुम्हें हक़ है किसी से भी मुहब्बत करना
अपनी धरती पे अगर ज़ुल्मों सितम कम न किया
तुमने घरती पे जो हम सबको पुर्नम न किया
चैन से तुम तो कभी भी नहीं सो पाओगे
अपनी भड़काई हुई आग में जल जाओगे
वक्त एक रोज़ तुम्हारा भी सुकूं लूटेगा
सर पे तुम लोगों के भी क़हर-ए-खुदा टूटेगा..


जय हिन्द

मसरूर अहमद

(मसरूर कलम के धनी हैं...ग़लत बात न सुनते हैं , न कहते हैं...शायद इसीलिए अल्लाताला ने उन्हें ये नेमत बख़्शी है...कहा है कि -जाओ धरती पर ...समंदर की सियाही लो...और धरती को काग़ज़ मानो--और लिखते जाओ...सो शरूआत की है उन्होंने। अल्ला उन्हें लंबी उम्र और उंगलियों में ताकत दे)

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4 comments:

Aadarsh Rathore said...

जय हो
फर्जी पाकिस्तान का नाश हो

Unknown said...

बहुत सुंदर. मैं जब बच्चा था तो अक्सर बुजुर्गों को यह कहते सुनता था - साफ़-साफ़ बात है उर्दू में. आज फ़िर ऐसी ही साफ़ बात पढ़ी.

amar anand said...

zabardast. pakistan ke gaal par issi umda shayrana tamacha aur nahi ho sakta.
http://manzilaurmukam.blogspot.com/

amar anand said...

zabardast. pakistan ke gaal par issi umda shayrana tamacha aur nahi ho sakta.
http://manzilaurmukam.blogspot.com/