असल में ये कोना एक पंचायत है, जहां पंच हैं... लोगों की भीड़ है... और कई सवाल हैं जिनके जवाब हैं, मसले हैं जिन पर फैसलों की पूरी गुंजाइश हैं... यानी कोई खाली हाथ नहीं जाएगा... इस कोने का नाम सरपंच इसलिए है क्योंकि यहां आने वाला हर कोई कम से कम अपना सरपंच तो है ही... यानी जो बोले सो निहाल और जो खोले सो सरपंच।
...rakesh sir!!!...pata nahen maen aapko yaad hu na yaad hun....per bloging ke dermian jab aap mele to acha laga....aapaka aasirvaad he hae ke hyderabad ke vanvaas se nejat mele....kabhe aaunga...mere khusean aapke lea bhe methas banna chahte haen!!!!!!
3 comments:
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बहुत अच्छी रचना है. कम शब्दों में संपूर्ण भाव.
नियमित लिखें, शुभकामनाऐं.
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