मत छेड़ो इन्हें
ख़्वाब हैं
जाग जाएंगे
तैर रही हैं हसरतें
सब पाने
कुछ न खोने की
कुछ चुराने का मज़ा
हसीन डाके,
उसको मारा
फलां को कुचला
बेशर्म हो लिए
फना हो लिए किसी पर
अब सच की दुनिया में
जीने के मौके हैं कम
चिपक जाएगा मुखौटा
आंख खुलते ही
मत छेड़ो, खेलने दो
सान लेने दो माटी इनको
© सिद्धार्थ
एक और नज़्म
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3 comments:
मत छेड़ो इन्हें
ख़्वाब हैं
जाग जाएंगे
--वाह!! क्या बात है.
सुभान अल्लाह क्या आगाज है........
Another beautiful one from Siddhartha.
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