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मैंने भी देखा सपना

आंखों में सपने लेकर तो हर कोई यहां आता है
पर क्या उन सपनों को वो सच कर पाता है...
देखा है एक सपना मैंने भी
उड़ रही हूं आसमान में मैं भी
डर लगता है कहीं ये सपना ही गुम ना हो जाए
डर लगता है कहीं ये वक्त ही ना थम जाए
आसमान में उड़ान भरना आसान नहीं
पतंगे की तरह सूरज की ओर बढना आसान नहीं
लेकिन कोशिश करना चाहती हूं मैं भी
पंख नहीं तो क्या हुआ हौंसलों से उड़ान भरूंगी मैं भी
नहीं रोक पाओगे मुझे
बनूंगी इतनी मज़बूत
बनूंगी इतनी शूर
नारी हूं तो क्या हुआ
ज़माने से आंखे मिलाउंगी मैं भी....


पल्लवी जैन

--(पल्लवी जैन एक टीवी चैनल-लाइव इंडिया में रिपोर्टर हैं...लोगों की अनुभूतियां इन्हें बहुत पास से देखने को मिलती हैं....कभी कभी कागज़ पर उतरीं तो कविता बन जाती हैं...)

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7 comments:

SKAND said...

The last lines of self-pity (of being a woman) lessens the impact of the foregoing lines. 'Hai aurat tumhari yahi kahani.. aur aankho mein paani'-- lamentation do not behove a modern lady.

Sumit Pratap Singh said...

प्रिय मित्र पल्लवी जैन

सादर ब्लॉगस्ते,

मुझे प्रसन्नता हुई कि तुमने भी ब्लॉग्गिंग आरम्भ कर दी है। तुम्हारी रचना बहुत अच्छी लगी। आशा करता हूँ कि तुम शीघ्र ही स्वयं का ब्लॉग बना कर ऐसी ही सुंदर-सुंदर रचनाएँ निरंतर उस पर प्रकाशित करती रहोगी। तुम्हे निमंत्रण दे रहा हूँ कि मेरे ब्लॉग पर आकर "एक पत्र आतंकियों के नाम" पढ़ कर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दो। तुम्हारी प्रतीक्षा में तुम्हारा मित्र...

Manojtiwari said...

ये हिंदुस्तान अकादमी क्या है ?क्या थोडी डिटेल देंगे

Tanya said...

you have made a good attempt of putting your thoughts on paper............it depicts the true picture of indian woman.........though we have fought our way all through but when it comes to certain issues we still need to fight long way................

आनंदवाणी said...

क्या बात है.. it seems that u r a professional poet... आपकी ये कविता नारी उम्मीदों को नए पंख देती है...Keep it up...आनन्द प्रकाश पांडेय

SUDHIR KUMAR PANDEY said...

प्रिय पल्लवी जी,
आपकी कविता सचमुच दिल को छू गयी...सच ही कहा आपने सपना तो हर कोई देखता है और उसके टूटने का डर भी सताता रहता है..पर इस डर से सपने देखने नहीं छोड़ने चहिए क्योकिं तैरना तो वहीं सीख पाता है जो लहरो से टकराता है
आपका प्रिय मित्र
सुधीर कुमार पाष्डेय
सीएनईबी

Unknown said...

hi Pallavi,
Very well written and very true.Not all dreams are fulfilled but one should never leave hope .. with love and warm wishes,Pranati