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क्या कलाम साहब सही हैं

पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम चाहते हैं कि पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया जाए। कलाम ने कहा है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए देश के अंदर और बाहर स्थित आतंकवादी ठिकानों पर छापा मारकर उन्हें नष्ट करना जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए सबसे एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान चलाने की जरूरत है जिसमें हर नागरिक को शामिल किया जाए। आप क्या कहते हैं. हमें बताएं

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5 comments:

Arvind Mishra said...

बिल्कुल सच कहा उन्होंने ! पर अफ़सोस अब वे पूर्व राष्ट्रपति हैं !

निर्मला कपिला said...

मैं उन की बात से सहमत हूं.मगर देश मे अभी एक भी नेत अब्दुल कलाम नहीं है

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अरविन्द जी, वे अगर वर्तमान राष्ट्रपति भी होते तबभी बोलने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर पाते। यहाँ ‘मैडम’ की चलती है जो शिवराज पाटिल जैसे शिखण्डी को चार साल से देश का गृहमन्त्री बनाना उचित समझती रहीं।

कलाम को हटाकर प्रतिभा पाटिल को बैठाने के पीछे छिपी सोच से अन्दाजा लगाइए इस देश के भविष्य के प्रति उनके नजरिए का।

देवेश वशिष्ठ ' खबरी ' said...

विचार और आस्थाएं सृजनात्मक भी हो सकती हैं और आत्मघाती भी- किसी विचार को कुचलने से बेहतर होता है उसके लिए सामाजिक बहिष्कार पैदा कर दिया जाय- आज पाकिस्तान के आतंकी कैंप नष्ट कर भी दिये जाएं- लेकिन उससे उनका मनोविज्ञान नहीं मरेगा- ये सोचिये कि उनके दिमाग से ऐसी आत्मघाती गंदगी कैसे निकाली जाये- और इस बहिष्कार को स्वीकार करने वाला विश्व जनमत कैसे बने-

'MASROOR' said...

देवेश की बातों से काफ़ी हद तक इत्तेफ़ाक़ रखता हूं...किसी आलिम ने एक बात कही थी...
इल्म (education) अगर शरीफ़ हासिल करे तो शराफ़त बढ़ती है, इल्म अगर ज़लील हासिल करे तो ज़लालत बढ़ती है...
इतिहास गवाह है कि जब-जब इल्म की चादर ओढ़कर हमले किए गए हैं वो ज़्यादा घातक साबित हुए हैं... 9/11 इसका एक उदाहरण है !
लेहाज़ा दो तरकीबें सामने आती हैं.. या तो ऐसे बदज़हन लोगों को इल्म हासिल करने से रोका जाए...
या फिर उनकी मंशा को जानकर उनके दिमाग को बदलने की तरकीब की जाए...
अब ऐसे में कौन सी तरकीब चुनी जानी चाहिए... इसका फैसला तो शीशमहलों में बैठे सफ़ेदपोश ही करेंगे...