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अलविदा

जा
मैं नहीं रोकूंगा तुम्हें
वैसे भी रोके से
कौन रुका है
आज तक
मैं बांध बन जाऊंगा
रोकूंगा वो प्रवाह
आखिरी सांस तक
और फिर एक रोज़

जब सब थम जाएगा
तब वहां
एक तुलसी का पौधा लगाउंगा
जहां कभी तुमसे
उचकने को कहा था

- रा.त्रि

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