असल में ये कोना एक पंचायत है, जहां पंच हैं... लोगों की भीड़ है... और कई सवाल हैं जिनके जवाब हैं, मसले हैं जिन पर फैसलों की पूरी गुंजाइश हैं... यानी कोई खाली हाथ नहीं जाएगा... इस कोने का नाम सरपंच इसलिए है क्योंकि यहां आने वाला हर कोई कम से कम अपना सरपंच तो है ही... यानी जो बोले सो निहाल और जो खोले सो सरपंच।
no where it has been proved that the child had sexual relations with the servant . i think you should be more sentive in writing towards a child who was murdered and is no more there to defend herself.
no where it has been proved that the child had sexual relations with the servant . i think you should be more sentive in writing towards a child who was murdered and is no more there to defend herself.
मेरा मत रचना जी के साथ है। हम एक ओर तो पुलिस और चैनलों को गाली दे रहे हैं, दूसरी ओर हम खुद क्या कर रहे हैं? वही जो उन्हों ने अपनी असफलता और गैरप्रोफेशनलिज्म को छुपा कर जान छुड़ाने और स्टोरी बेचने के लिए किया फोकट में कर रहे हैं। हम क्या स्त्रित्व और उस के सम्मान का कत्ल नहीं कर रहे?
आरुषि जब जिन््दा थी... उसके मां बाप ने, मीडिया ने पुलिस ने और हमने किसी ने उसे व््कत नहीं दिया ...उसकी उम््र को उसके दौर को उसके सवालों को..उसकी भावनाओं को हमारा वकत्् चाहिए था...हम नहीं दे पाए..जब उसे मार दिए गया ..हमे सदमा लगा ...समय लेकिन फिर भी हमारे पास नहीं था...तलवार दम््पति को उसे जलाने की ...पुलिस को वर््क आउट की और मीडिया को खुलासे की जल््दी थी....इस जल््दबाजी ने न तो उसकी जिन््दगी को वक््त दिया न मौत को ...हमें इतनी जल््दी क््यों है ...हर चीज इतनी जल््दी तो नहीं हो सकती...वक््त तो अपनी स््पीड से अपने हिसाब से अपने अंदाज में चलेगा...जल््दी और हड़बड़ी में हम हैं...हम वक््त के साथ नहीं जल््दी के साथ कदम ्मिलाना चाहते हैं...हड़बड़ी में भूल, गलती और ब््लंडर््स तो होंते ही हैं...पुलिस से भी हुए...तलवार दम््पती से भी हुए..मीडिया से भी हुए...और आरुषि से भी हुए होंगे...जल््दी में जो गलतियों हमसे हो जाती हैं उन््हे हम याद रखें और इसीलिए जल्दी में दूसरों हुए गलतियों को माफ करें....ये सबक डॉ तलवार ने तो नहीं सीखा....लेकिन हम जरूर सीख लें...जल््दी के साथ कदमताल कृरने की हमारी जिद में सच कितनी देर के बाद हांफने लगेगा पता नहीं....अगर सच की सांस की फूल गई तो हमारी जल््दी तो हमें इतना वक््त भी नहीं देगी कि लौटकर उसके हालचाल पूछ सकें..इस जल््दी में जो और जैसा हमारे साथ चल पाएगा वहीं हमारा सच होगा...और इस सच को भी खुद को सच साबित करनी की उतनी जल््दी होगी...
ये पोस््ट मैंने जिस दिन लिखी थी, आरुषी का जन््मदिन था... और पुलिस का दावा और उनकी खोज का आखिरी नतीजा था कि उस १४ साल की मासूम लड़की के ५२ साल के हेमराज से अवैध संबंध थे... ये जानकर बड़ा अजीब लगा और उन सोचने लगा कि वो कैसे काले हालात होंगे जब ऐसा हुआ... लेकिन सच कहूं तो मुझे इस निकम््मी पुलिस के इस दावे में भी कोई हकीकत नज़र नहीं आती... जो भी हो... पर आरुषि जैसे हत््याकांड हमारे माथे पर कालिख हैं...
5 comments:
no where it has been proved that the child had sexual relations with the servant .
i think you should be more sentive in writing towards a child who was murdered and is no more there to defend herself.
no where it has been proved that the child had sexual relations with the servant .
i think you should be more sentive in writing towards a child who was murdered and is no more there to defend herself.
मेरा मत रचना जी के साथ है। हम एक ओर तो पुलिस और चैनलों को गाली दे रहे हैं, दूसरी ओर हम खुद क्या कर रहे हैं? वही जो उन्हों ने अपनी असफलता और गैरप्रोफेशनलिज्म को छुपा कर जान छुड़ाने और स्टोरी बेचने के लिए किया फोकट में कर रहे हैं। हम क्या स्त्रित्व और उस के सम्मान का कत्ल नहीं कर रहे?
रेस सांसो की ...रेस धड़कन की
आरुषि जब जिन््दा थी... उसके मां बाप ने, मीडिया ने पुलिस ने और हमने किसी ने उसे व््कत नहीं दिया ...उसकी उम््र को उसके दौर को उसके सवालों को..उसकी भावनाओं को हमारा वकत्् चाहिए था...हम नहीं दे पाए..जब उसे मार दिए गया ..हमे सदमा लगा ...समय लेकिन फिर भी हमारे पास नहीं था...तलवार दम््पति को उसे जलाने की ...पुलिस को वर््क आउट की और मीडिया को खुलासे की जल््दी थी....इस जल््दबाजी ने न तो उसकी जिन््दगी को वक््त दिया न मौत को ...हमें इतनी जल््दी क््यों है ...हर चीज इतनी जल््दी तो नहीं हो सकती...वक््त तो अपनी स््पीड से अपने हिसाब से अपने अंदाज में चलेगा...जल््दी और हड़बड़ी में हम हैं...हम वक््त के साथ नहीं जल््दी के साथ कदम ्मिलाना चाहते हैं...हड़बड़ी में भूल, गलती और ब््लंडर््स तो होंते ही हैं...पुलिस से भी हुए...तलवार दम््पती से भी हुए..मीडिया से भी हुए...और आरुषि से भी हुए होंगे...जल््दी में जो गलतियों हमसे हो जाती हैं उन््हे हम याद रखें और इसीलिए जल्दी में दूसरों हुए गलतियों को माफ करें....ये सबक डॉ तलवार ने तो नहीं सीखा....लेकिन हम जरूर सीख लें...जल््दी के साथ कदमताल कृरने की हमारी जिद में सच कितनी देर के बाद हांफने लगेगा पता नहीं....अगर सच की सांस की फूल गई तो हमारी जल््दी तो हमें इतना वक््त भी नहीं देगी कि लौटकर उसके हालचाल पूछ सकें..इस जल््दी में जो और जैसा हमारे साथ चल पाएगा वहीं हमारा सच होगा...और इस सच को भी खुद को सच साबित करनी की उतनी जल््दी होगी...
ये पोस््ट मैंने जिस दिन लिखी थी, आरुषी का जन््मदिन था... और पुलिस का दावा और उनकी खोज का आखिरी नतीजा था कि उस १४ साल की मासूम लड़की के ५२ साल के हेमराज से अवैध संबंध थे... ये जानकर बड़ा अजीब लगा और उन सोचने लगा कि वो कैसे काले हालात होंगे जब ऐसा हुआ... लेकिन सच कहूं तो मुझे इस निकम््मी पुलिस के इस दावे में भी कोई हकीकत नज़र नहीं आती... जो भी हो... पर आरुषि जैसे हत््याकांड हमारे माथे पर कालिख हैं...
देवेश वशिष््ठ 'खबरी'
981185236
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