मुद्दत बाद ऐसा हुआ
तुम पास से निकल गए
नि:शब्द...
मैं सिर्फ
उस हवा को छू पाया
जो तुम्हें छू कर
आई थी
ये क्या बात हुई
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मुद्दत बाद ऐसा हुआ
तुम पास से निकल गए
नि:शब्द...
मैं सिर्फ
उस हवा को छू पाया
जो तुम्हें छू कर
आई थी
8 comments:
haaye ye ishq
वो नीची निगाहें, वो भोली से सूरत
वो अदाओं से उनका हमें देख लेना
वो उनका खनकना,वो हमारा बहकना
वो उनकी जवानी, वो हमारी रवानी
वो उनका मचलना,वो हमरा फिसलना
हाय ये मुहब्बत सिखाती है अदाएं क्या-क्या
आपकी छोटी सी पर सीधे दिल में उतरने वाली कविता ने अभिभूत कर दिया. बहुत दिनों से इंतजार था आपसे ऐसी ही किसी रचना का आपने पाठकों को लड़कपन के वो दिन याद दिला दिए जब बचपन जवानी की दहलीज पर कदम रखता है आंखें तो चार होती है पर दिल का हाल सामने वाले से कहा नहीं जाता और कहे बिना रहा भी नहीं जाता और दिल कह कर रहा जाता है की जबान दिल की हकीकत क्या बयां, करती किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता.और फिर वो स्थिति भी आती है की जैसा की राकेशजी ने लिखा है की वो निकल जातें है बगल से हवाएं उनकी खुशबू लाती हैं
तेरी हर याद, तेरी बात मुझको ज्यों खजाना है...
तेरे खबरी की सांसों में तेरा ही आना जाना है...
कि मुझको गम नहीं होता, तेरी जो याद आती है,
तुझे पाकर खुदा को भी तेरे ही संग पाना है...
फिर वही शैली... बहुत छोटा, बहुत अच्छा
पोस्ट बटन पर सिर्फ एक बार क्लिक करें... क्षणिका कई बार पोस्ट हो गई है...
खबरी
तेरे जाने के बाद भी मैंने, तेरी खुशबू से गुफ़्तगू की है !!!
आपकी ये रचना पढ़के मुझे ये पंक्तियां याद आ गईं सर...
खुदा को अगर मोहब्बत न बनाई होती...
तो न आसमान का शामियाना होता
न ज़मीन का फर्श-ए-खाकी होता
न कर्रोबीन के सजदे होते
न मस्ताना रौ हाथी होता
न कुलैले भरते हिरन होते
न दाहाड़ें मारता समंदर
और जब ये सब न होता तो खुदा भी पूजा न जाता
लेहाज़ा प्यार करने वालों के लिए सिर्फ़ एक लफ़्ज़
मरहबा !!!
ऐसा लगा बिना कुछ कहे सब कुछ कह दिया :)
सर सिर्फ सात पंक्तियों में इतनी खूबसूरत अभिव्यक्ति... वाह !
वाकई आखिर ये क्या बात हुई.इस बात में दर्द तो है मगर क्यों है.और कैसे है.बात अधूरी है.पूरी तो कर दीजिये-अभिषेक आनंद
इन पंक्तियों मं खुशी के साथ दुख भी छुपा है
nice vry nice keep it up
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