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हंसना ज़रूर

सुनो
तुम अपनी हंसी
की पीली छटा
हर सुबह बिखेर दिया करो
मेरे पतझड़ वाले 
आंगन में
ऐसे कट जाएगी
मेरी हर दुपहरिया
मैं वो हर दुपहर
सहेज कर रखूंगा


--रा.त्रि

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