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धूल धूसरित था मैं
कड़ी मेहनत से निकाला गया
आग में तपाया गया
कई कोनों से काटा गया
उकेरी गईं
मेरे सीने पे फिर नक्काशियां
और फिर...
तय हुआ मेरा दाम
और सज गया मैं दुकानों में
.......
.......
लेकिन अब भी परखा जाता हूं रोज़
हर ग्राहक हथेली पर रखता है
और परखता है-
खरा तो हूं ना मैं ?
--रा.त्रि
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