बांध दो मुझे
तारों की कंटीली बाड़ में
फिर ऊंची दीवारें खड़ी करो
मेरे आस-पास.....
ध्यान रहे
सूरज की रोशनी का
एक कतरा भी
न पहुंचे मेरे माथे तक
और हां....
रोकना न भूलना
हवा के रास्ते भी
लेकिन....
थाम नहीं सकते
तुम वो तूफान
जो मेरे भीतर हरहराता है
रोज़ सुबह शाम
--रा.त्रि
0 comments:
Post a Comment