(मीनाक्षी कंडवाल पेशे से टीवी जर्नलिस्ट है, लेकिन मन उनका एक कवि का है..उनकी एक कविता आप तक हम ला रहे हैं...जो अभी अधूरी है....मीनाक्षी चाहती थीं कि कविता जब पूरी हो तब सामने लाई जाए...लेकिन जिन महीन धागों से उन्होंने अपने ख्वाब बुने हैं...वो आपको देखनी ही चाहिए....इसी सोच के साथ हम ये लाइनें आप तक पहुंचा रहे हैं।)
एक कोशिश में जुटी हूँ आजकल
कोशिश तुम्हें जानने की,
समझने की,
और कभी कभी तो
परखने की भी......
वजह महज़ ये कि
तुम में है गज़ब का आकर्षण
जो तुमसे जुदा होने नहीं देता
जो तुमसे अलग कुछ सोचने नहीं देता
तुम मेरे प्रेमी नहीं हो
लेकिन प्रेमी से कम भी नहीं
लफ़्ज़ों की ज़ुबां में तुम 'ज़िंदगी' कहलाते हो
वक्त बेवक्त ज़ेहन में दस्तक दे जाते हो
बस इसीलिए
एक कोशिश में जुटी हूँ आजकल
हाँ कोशिश तुम्हें जानने की
'ज़िदंगी' को जानने की,
क्योंकि
साँसों के चलने से लेकर
सांसो के थमने तक
तुम्हारा विराट वैभवशाली अस्तित्व
अनंत अनुभवों की दास्तां कहता हैं
---मीनाक्षी कंडवाल
"कोशिश तुम्हें जानने की"
एक मां का रोना
मुंबई में एक लाल रंग की बस को सैकड़ों लोग घेरे हुए हैं.....उसमें एक अपराधी है जो राज ठाकरे को मारने आया है...भीड़ बस पर पत्थर फेंक रही है .... शीशों पर डंडे बरसा रही है...आखिर एक मराठी पर कोई हमला करने की सोच भी कैसे सकता है....कुछ वक्त बाद पुलिस आती है और एक शातिर (?) को गोली मार देती है। जो मारा जाता है वो राहुल राज है और जो जिंदा है वो राज। राहुल की मां पर जो बीती होगी .... उसकी कल्पना मियां मसरूफ ने की है। लाइव इंडिया न्यूज़ चैनल में entertainment desk में काम करते हैं और लिखते अच्छा हैं। आप भी देखिए--
गया तो ख़्वाब हज़ारों थे उसकी आंखों मे
जो आया लौट के तो ख्वाब बनके आया है..........................................!!!!
जिसे सुलाता था रातों को लोरियां देकर
जिसे चलाता था हाथों में उंगलियां देकर
कहां है वो जिसे आंखों का नूर कहता था
कहां है वो जिसे दिल का सुरूर कहता था...
मेरे मकान में तस्वीर उसकी आज भी है
दरीचे याद में डूबे हैं मां को आस भी है
तुम्हारी मां तेरे आने की राह तकती है
कहां हो तुम तेरे दीदार को सिसकती है...
तुम्हारी राखी है घर के अंधेरे ताख़ पे जो
बहन ने दी थी तुम्हें जिस वजह से याद है वो
उसी का कर्ज़ मेरे लाल तुम चुका जाते
तुम अपनी बहन के मिलने बहाने आ जाते...
कहां गए थे जो सीने में ज़ख़्म ले आए..
ये धब्बे खून के तुमने कहां पे हैं पाए
किसी ने तुमको बड़ी बेदिली से मारा है
तुम्हारी मां की भरी गोद को उजाड़ा है
सुना था देश के क़ानून में वफ़ा है बहोत़
सुना था इनकी अदालत में फैसला है बहोत
इन्हें कहो कि मेरा लाल मुझको लौटा दें
इन्हे कहो कि गुनहगार को सज़ा दे दें..
दुआएं देती थी तुझको जिये हज़ार बरस
दुआएं करती रही और गुज़र गया ये बरस
मगर ये क्या कि तुझे ये बरस न रास आया
तेरी उमीद भी की और तुझको ना पाया
कहां हो तुम मेरे नूर-ए-नज़र जवाब तो दो
कहां हो ऐ मेरे लख्त-ए-जिगर जवाब तो दो
कहां गए हो कि वीराना चारों सू है बहोत
कहां गए हो कि दुनिया में जुस्तजू है बहोत
कब कहां किसकी दुआओं के सबब आओगे
किस घड़ी ऐ मेरी उम्मीद के रब आओगे
कुछ तो बेचैनी मिटे मां की तेरे ऐ बेटा
ये बताने ही चले आओ कि कब आओगे...
तमाम शुद !!!!
--मसरूर
एक खुला खत आतंकवादियों के नाम
--नवभारत टाइम्स से साभार
गुस्सा थूकिये पाटिल साहब
मैं भी मराठी मानुस हूं...लेकिन..
राज ठाकरे की चिंता जायज है, तरीका गलत
" नीम का पत्ता कड़वा है, राज ठाकरे ... ड़वा है" (सपा की एक सभा में यह कहा गया और इसी के बाद यह सारा नाटक शुरू हुआ)। यह नारा मीडिया को दिखाई नहीं दिया, लेकिन अमर सिंह को "मेंढक" कहना और अमिताभ पर शाब्दिक हमला दिखाई दे गया। अबू आजमी जैसे संदिग्ध चरित्र वाले व्यक्ति द्वारा एक सभा में दिया गया यह वक्तव्य - मराठी लोगों के खिलाफ़ जेहाद छेड़ा जाएगा, जरूरत पड़ी तो मुजफ़्फ़रपुर से बीस हजार लाठी वाले आदमी लाकर रातोंरात मराठी और यह समस्या खत्म कर दूँगा - भी मीडिया को नहीं दिखा (इसी के जवाब में राज ठाकरे ने तलवार की भाषा की बात की थी)। लेकिन, मीडिया को दिखाई दिया और उसने पूरी दुनिया को दिखा दिया बड़े-बड़े अक्षरों में "अमिताभ के बंगले पर हमला ..." । बगैर किसी जिम्मेदारी के बात का बतंगड़ बनाना मीडिया का शगल हो गया है।
नेहा की मदद करना चाहेंगे आप ?
हम ऐसे लोगों के लिए नेहा की नानी का फोन नम्बर दे रहे हैं--9811544027....नेहा की नानी का बैंक एकाउंट भी हम आपको मुहैया करा रहे हैं...State Bank of India, Branch- Dwarka, Sector-16 (Delhi), Maya Devi, A/c No. 30278913726. branch code- 04384.
आप अगर बैंक में पैसे जमा करवाना चाहते हैं तो पहले नेहा या उसकी नानी से फोन पर बात कर लें....फिर जैसे भी इस होनहार बच्ची और उसकी नानी की मदद करना चाहें..करें।
हम आपको बता दें कि नेहा, पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में कोलंबिया स्कूल में नौवीं की छात्रा है .... और आठवीं में उसके 95 फीसदी नंबर आए हैं.....यानी पढ़ने में वो काफी अच्छी है....इस परिवार को इस वक्त रहने का ठिकाना चाहिए। जिस किराए के घर में वे रह रहे हैं, वह किराया न देने के कारण उन्हें जल्द ही खाली करना पड़ेगा। अभी तक उन्हें किसी से कोई बड़ी मदद नहीं मिली है। हां, मदद के लिए लोगों के फोन जरूर आ रहे हैं। पिछले दो-तीन दिनों में पांच सौ व हजार रुपए देकर कुछ लोगों ने उनकी मदद की। लेकिन ये नाकाफी है, क्योंकि अब तक कुल मदद तीन-चार हजार रुपए की ही हो पाई है। नेहा की नानी के मुताबिक, अब तक किसी बड़े एनजीओ ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। दुख की इस घड़ी में नेहा के पिता के परिवारवालों ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली। एक निजी चैनल से उनके पास फोन जरूर आया था, जिसके तहत नेहा को गोद लेने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। वह अपनी नातिन को अपने पास ही रखना चाहती हैं। मायादेवी नेहा की पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने लोगों से मदद की अपील की है।