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मैं श्रवण कुमार


अम्मां
अपने कमरे की दीवार पर
टांग ली है मैंने
तुम्हारी 30 साल पुरानी तस्वीर
और बन बैठा हूं श्रवण कुमार

तस्वीर काफी पुरानी है अम्मां
तब तुम हंसती थी
घर के हर कोने पर
अपनी मौजूदगी का अहसास
कराती थीं

रसोई के मुहाने से लेकर
लॉन के आगे गेट तक
हर जगह था तुम्हारा साम्राज्य
लेकिन अब कहां हो तुम अम्मां

एक और तस्वीर है अम्मां
बाबूजी और तुम्हारी
काले सूट और टाई में बाबूजी
और बाईं ओर तुम
संतुष्ट गृहिणी की तरह

अब तुम्हें रोज़ सुबह
उठकर देख लेता हूं
और डींगें हांकता हूं
लोगों से कहता हूं कि मैं
याद करता हूं अपनी अम्मां को
फ्रेम में जड़ी तस्वीर वाली
अम्मां को।

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